मन का पंछी
"मन का पंछी"
इस मन के पंछी के
माना पंख नहीं होते
बस आशाओं के पंखो से
ये उड़ता रहता है
कभी टूट जाएं अगर
ये आशाओं के पंख
तो इसका उड़ पाना
बड़ा मुश्किल होता है
है इसको आदत कुछ
सपनों को बुनने की
गर पूरे ना हों सपने तो
जीना मुश्किल होता है
आजाद है मन का पंछी
माना बंधनों से सारे
पर मोह के बंधन से
ये जकड़ा रहता है
दुनिया के बगीचे में
इसका आना जाना है
कुछ फूलों पर अपने
ये जान छिड़कता है
पंछी की तरह उड़ने की
ये मन चाहत रखता है
आजाद घूमने के
ये ख्वाब देखता है
है पागल मन ये चंचल
इतना न समझता है
इससे ज्यादा आजाद
भला कौन होता है??
कविता गौतम...✍️
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Sep-2022 06:46 PM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ,,,, दुनिया ही सही रूप है दुनियां नहीं होता जी
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Kavita Gautam
21-Sep-2022 01:25 PM
सुंदर समीक्षाओं हेतु आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
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Gunjan Kamal
19-Sep-2022 01:00 PM
बेहतरीन
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